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Man Mukta
मन मुक्ता’ कविता संग्रह मन मुक्ता का अर्थ है ‘मन का मोती’। इस कविता संग्रह की प्रत्येक कविता मेरे मन से निकला हुआ एक मोती है । मन मुक्ता में मानवीय मन के मोती रुपी भावों (मातृभूमि प्रेम, भक्ति, व्यंग्य, स्त्री विमर्श, बचपन, साहस, दया, दोस्ती इत्यादि) से ओतप्रोत कविताओं को संकलित किया गया है। अभिमन्यु की वीरता, कौन्तेय कर्ण की व्यथा, पृथ्वी राज चौहान का साहस, द्रोपदी का दुख, द्वारकाधीश कृष्ण का ब्रज प्रेम, गांधी का सत्याग्रह, कलाम का विज्ञान इत्यादि पौराणिक व ऐतिहासिक प्रसंगों को इस कविता संग्रह में पिरोया गया है।
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Mohabbat khwab aur Tum
हेलो अवनि कैसी हो खबर तो मिल गई होगी तुम्हें बहुत शौक था न तुम्हें अनाथ बच्चों की सेवा करने का अब इसकी किमत तुम्हें अनाथ बनकर चुकानी पड़ेगी .. हा हा हा ..! फिर फ़ोन कट गया था और मैं बस हेलो हेलो कर रही थी और विराज जो ड्राइविंग कर रहा था और मुझे देख रहा था वह भी घबराया हुआ था मेरी हालत देखकर और बार बार पूछ रहा था .. “क्या हुआ अवनि किसका फोन था क्या कह रहा था”! और मैं …! मैं — बस जल्दी गाड़ी तेज चलाओ मुझे घर पहुंचना है । मैं कह रही थी और मेरी आंखों से लगातार आंसू बहे जा रह थे ..दिमाग काम नहीं कर रहा था कि वह फोन किसका था और तभी मुझे एहसास हुआ था कि ये आवाज़ कुछ जानी पहचानी थी और फिर मेरे होश उड़ गए थे ये आवाज़ आश्रम के फादर की थी जो कि उस निधि वाले और विराज और मेरे एक्सीडेंट के बाद से फरार थे और उन्होंने अपना बदला मुझसे ऐसे लिया था ..! मेरे तो होश ही उड़ गए थे । मैं बहुत घबरायी हुईं थी और दुबारा उसी नंबर को डायल कर रही थी मगर वह नंबर आऊट आफ नेटवर्क बता रहा था और इसी कशमकश और डर घबराहट में जब हमारी गाड़ी मेरे घर के पास पहुंचने वाली थी तो वहां पर लोगों की बहुत बड़ी भीड़ उमड़ी हुई थी और आसमान में धुआं उठ रहा और सब कुछ काला काला नज़र आ रहा था और हवा में गर्माहट महसूस हो रही थी जैसे आग …. विराज ने गाड़ी वहीं पर रोकी थी और मैं जल्दी से भीड़ को चीरते हुए अन्दर बढ़ी थी ।सब कुछ खतम हो गया नेहा सब कुछ मैं अनाथ आश्रम में काम करते करते खुद अनाथ हो गई हूं फादर ने मेरा बदला मेरे माता-पिता से ले लिया था मैं अनाथ हो … “”! कहते कहते कब मेरी आंखे बंद हो गई थी फिर से मुझे कुछ होश नहीं था ।
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Narkesari – Akash Series book 4
धीरे-धीरे तमस की त्वचा भी भांप बनकर उङने लगी थी , थोङी देर के उपरांत कुछ बचा था तो सिर्फ उसका नर कंकाल , तमस का अध्याय समाप्त हो चुका था , न जाने कितनी सदियाँ वह जिया था ,
₹280.00 -
OK – The Feeling Of Love
OK: the feeling of love is the collection of all the feelings and memories of love ever felt and made in the form of poems and little quotes.
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Pahla Padaaw
योगेन्द्र सिंह द्वारा रचित यह काव्य-संग्रह “पहला पड़ाव” एक जन सामान्य के जीवन-संघर्ष, अनुभव एवं उन मानवीय संवेदनाओं के प्रकटीकरण का सजीव चित्रण करता है, जो दैनिक जीवन में हर मानव के मन को उद्वेलित करतीं हैं। इनकी कविताओं में हर जन सामान्य की भावनाओं को प्रतिलक्षित कर उन्हें हर पाठक से व्यक्तिगत तौर पर जुड़ा हुआ महसूस कराने की अद्भुत क्षमता है। आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि योगेन्द्र सिंह की कविताओं का यह “पहला पड़ाव” आपकी उम्मीदों पर अवश्य करा उतरेगा।
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Raghuvanshi – Vachanbadhh Raja Ki Gatha ( Part 1)
रघुवंशी – वचनबद्ध राजा की गाथा। यह किताब एक सस्पेंस थ्रिलर, फिक्शन सीरियल ड्रामा का पहला भाग है। यह वचनबद्ध पर आधारित कहानी है। रघुराज रघुवंशी एक बहुत बड़ें साम्राज्य के वचनबद्ध राजा हैं, अगर राजा रघुराज रघुवंशी का वचन टूटा तो वह स्वयं अपने प्राण त्याग देंगे, वचनबद्ध होने के कारण राजा के जीवन में तरह-तरह की चुनौतियां आती हैं, राजा रघुराज रघुवंशी इन चुनौतियों का सामना कैसे करते है, जानने के लिए पढ़ें “ रघुवंशी ” वचनबद्ध राजा की गाथा ।
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Sami – The Miracle Of Society
समी बच्चे को गोद में उठा मंदिर में पहुंचा और भवानी का स्मरण कर शिव सत्ता को पुकारने लगा, जिसने अर्धनारिश्वर रूप ले सृष्टि का निर्माण किया, उस सत्ता का स्मरण करने लगा और देखते ही देखते वह नारी रूप में परिणित हो गया, वह अब अर्धनारिश्वर था, और अपने वक्ष स्थल से बच्चे को लगा दूध पिला रहा था, सारा गांव जब पलटकर देखता है तो समी उस बच्चे के लिए मां और पिता दोनों ही रूप ले चुका था, वैशाली सदमे में थी…. और जीवाजी अपराध बोध में हाथ जोड़े खड़े थे…।
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Shabdam
शब्दम एक ऐसा काव्य संग्रह है जिसमें प्रकति प्रेम वियोग एवं देशप्रेम जैसी अनेक कविताओं को बहुत ही मार्मिक ढंग से दर्शाया गया है शब्दम अनेक विधाओं से संजोया हुआ अनूदित काव्य संग्रह है जो हमारे समाज एवं साहित्य प्रेमियों को एक नई दिसा की ओर ले जायेगा।
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Shabdon ke Mele
‘शब्दों के मेले ‘ काव्य संग्रह में यूँ तो विविध प्रकार की कविताओं का रसास्वादन पाठक गण कर सकतें हैं किंतु मुख्य रूप से जीवन में आने वाली चुनौतियों से हार न मानने व अपने जीवन को सार्थक लक्ष्य के साथ जीना यही कविता द्वारा संदेश देने की कोशिश की गई है क्योंकि लक्ष्य विहिन जीवन का कोई मोल नहीं होता |
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Shree – Suno Na
शिव तक मेरी दीवानगी पहुंच चुकी थी.. जाहिर भी था.. मैं भी अपनी भावनाएं शायरी की या ग़ज़ल के रूप में उन तक पहुंचाने लगी थी.. पर बिना प्रतिउत्तर की चाह लिए… वो जो मुझे दे रहे थे वो सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए था.. अपनी व्यस्त सी जिंदगी से बचाकर कुछ वक़्त..और इस तरह एक खूबसूरत रिश्ते की शुरूवात हमारे बीच हो गई.. कोई शर्त नहीं कोई चाहत नहीं.. ना पाने की लालसा न खोने का डर… बरसों इस रिश्ते को जी लेंगे इसी तरह.. मुझे लगता है रिश्ते निभाना बहुत आसान और सरल होता है… बस आपसी सामंजस्य सही हो… प्यार तो आबाद ही करता है… ना जाने लोग इसे बर्बादी क्यों कहते हैं..
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Swadesh Chalo
सुजाॅय एक अमीर घर का बिगड़ा हुआ लड़का है। एक छोटी सी गलतफहमी के चलते उसकी शादी माहिरा नाम की मेड से हो जाती है। पर सुजाॅय की आदतों से परेशान माहिरा एक दिन उसे छोड़कर चली जाती है। इसके बाद सुजाॅय को अपनी गलतियों का एहसास भी होता है। माहिरा के अतीत के कुछ राज़ हैं जिनसे सुजाॅय अंजान है। क्या होगा जब उसके अतीत का सच सुजाॅय के सामने आएगा…? आखिर क्या है उसके अतीत की सच्चाई जिसे जान लेने के बाद माहिरा के प्रति सुजाॅय की तड़प और बढ़ जाती है ? क्या वक्त रहते सुजाॅय माहिरा को ढूंढ पाएगा ? और इस दौरान इन दोनों के जीवन में कितनी उथल- पुथल मचेगी ?
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Talab
रोज की तरह आज भी अपनी बुलेट से समर café में आया था, समर का ये रूटीन था कि वो दोपहर का खाना खाकर café में आ जाता था और तब तक रहता था जब तक café बंद ना हो जाये, बुलेट पार्किंग में खड़ी करने के बाद समर अपने ही अंदाज़ में चलता हुआ café में आया, एक नज़र पूरे café में घुमाई और उसकी नज़र काजल पर जाकर ठहर गई, एक पल काजल को देखने के बाद समर अपनी उस सीट की तरफ देखने लगा जहाँ वो रोज़ आकर बैठता था, उसकी सीट पर कोई नहीं बैठा था।
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Tumhara Aakhri Khat
जिस दर्द को मुक्ता बीस सालों से अपने मन में छुपाए थी आज वह फिर से हरे हो गए जिस आलोक की यादों को उसने अतीत के गलियारे में दफ़न कर दिया था आज वह बाहर आ गए वह आलोक के सामने जाना नहीं चाहती थी पर रमा की कसम के आगे वह मजबूर थी मुक्ता रमा की किसी बात को टाल नहीं सकती थी क्योंकि रमा मुक्ता के हर दुःख में हर क़दम पर उसके साथ थी आज रमा की इच्छा पूर्ति के लिए ही वह कालेज के ज़लसे में जाने को तैयार हुई थी जबकि उसे पता था वहां उसे आलोक का सामना करना पड़ेगा जो उसके लिए बहुत ही दुःख दायी होगा
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Vasuli
धोत्रे जमील से कहता है “कदम साहब का काम सोच समझ कर करना उनका नाम सुना है ना,बोलते कम हैं ठोकते ज्यादा है,”!! वह पिस्टल का इशारा करता है, !! धोत्रे कहता है , “अभी तुम दोनो कांदिवली चारकोप में जाओगे वहा भरत इंडस्ट्रीज में जा के बोलना बड़े साहब ने भेजा है , वो पैकेट दे दो ,और उधरिच कितना है वो गिन के लेने का वरना ये साले बहुत हरामी होते हैं 10 बोलेंगे नौ डालेंगे, साहब अपनी बजाते हैं, भरत का नंबर लिख ले ,”!! वह नंबर लिखता है,
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