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  • Babuji Tatha annya Kahaniyan

    ‘बाबूजी तथा अन्य कहानियाँ’ एक कहानी-संग्रह है जिसमें कुल अट्ठाईस सुंदर-सशक्त कहानियाँ संगृहीत हैं। चौदह लेखक की स्वरचित कहानियां हैं और शेष चौदह कश्मीरी से उनके द्वारा अनुवादित हैं। संग्रह की अधिकांश कहानियाँ अपने समय में देश की प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं और खूब प्रशंसित हुई हैं।कहानियों के विविधायामी कथानक मानव-जीवन की सच्चाइयों की सुंदर व्याख्या करते हैं और साथ-ही-साथ मानव-स्वभाव की पेचीदगियों से भी रू-ब-रू कराते हैं

    171.00
  • Eka Ratricha Mukkam

    “एका रात्रीचा मुक्काम” हा अनेक कथांचा भावस्पर्शी कथा संग्रह आहे.यातील कथा वाचकास खिळवुन ठेवतात.यातील “प्रेम सुंगध” या कथेत प्रेमात त्याग व सत्य असेल तर ते खुप सुंदर होऊन त्याचा सुगंध दळवळत राहतो.”पश्चात्ताप” कथेतील नायक देव पश्चात्तापने होळपळतो आणि ख-या प्रेमाच्या अपेक्षेने एका काळी असलेल्या प्रेयसी व आता परीस्थितीने वेश्या व्यवसायाकडे वळलेल्या अमृताच्या मागे विनवणी करीत फीरतो.पण ती त्याच्याकडे दुर्लक्ष करुन एक प्रकारे सुडच घेते.”एका रात्रीचा मुक्काम” या चित्त थरारक कथेत अदीला भेटलेल्या लावण्यवतीच्या जिवनातील अनिश्चितता बरचं काही सागून जाते.”गहीरे तळे” या कथेतील रहस्य आपणास गुढ आणि रहस्यमयी वातावरणात घेवून जाते.या संग्रहातील कथेत विविधता असून मानवी मनाचे रोमहर्षक खेळ आपणास समजून घेता येतात.या सा-या कथांचा गाभा हा ‘प्रेम त्याग शारीरिक आकर्षण’ हा आहे.

    160.00
  • Jina isi ka Naam

    बारह कहानियों का संग्रह ‘जीना इसी का नाम’ श्री रामेंद्र कुशवाहा का चौथा कथा संग्रह है। संकलन की कथाऐं कहती हैं कि संघर्ष ही जीवन है। जीवन की सार्थकता तब एक नया मोड़ ले लेती है जब हम अपने संघर्ष के साथ दूसरों के संघर्ष को भी अपना बना लेते हैं। एक चेहरे पे कई चेहरों का मुखौटा ओढ़े धूर्तो से निपटने की चुनौतियां, कमासुत कुॅवांरी बहन-बेटी के दर्द, सड़ी-गली पुरुष लोलुप पंरपरा के नाम पे नारी देह-भोग की लालसा, आज भी जातिय दंश की यंत्रणा,न्यायिक व्यवस्था की खामिंयां, शिक्षा माफियाओं की मनमानियां “ व्यवहारिक कुरुपता का अभिशात मजबूर-निर्धन औरतों का यौन शोषण एवं तेजी से पनप रही छुटभइये नेताओं की बढती प्रलय कारी धाक और इन सब के बीच पिसती-सिसकती आम जन के कष्टों को दर्शाता यह कथा संग्रह पाठकों कां अपने बीच घटना प्रतीत होती है उनके जीवन का भोगा सत्य-सा लगता है। संग्रह की सभी कहानियों के किरदार अंत समय तक कुव्यवस्थाओं से लड़ते-जूझते रहते हैं। यह बात दीगर है कि इस संग्राम में वे कभी हार जातें हैं,तो कभी जीत का स्वाद चखतें हैं-जीना इसी का तो नाम है।

    265.00
  • Total Vyangya

    199.00220.00
  • Vastvachya kathavar

    ‘वास्तवाच्या काठावर’ हा थरारक कथांचा संग्रह आहे. कथा अनेक ट्विस्ट्समधून मार्ग काढतात आणि साध्या सुरुवाती नंतर धक्कादायक टोकांसह समाप्त होतात. कथा संपल्यानंतरही वाचकांच्या मनात रहस्याचा अनुभव रेंगाळत राहतो. ‘सुजाता, सुजाता!’ पुस्तकातील सर्वात लहान कथा आहे जी वाचकाला शेवटी एक भयानक अनुभव देऊन जाते. ‘चीरतरुण’ या कथेला रहस्यासोबत विज्ञानकथेचे स्वरूप लेखकाने दिले आहे. पुस्तकातील इतर कथा सुद्धा साधारण सुरुवातीनंतर पुढे पुढे रहस्याच्या जाळ्यात गुंतत जातात.

    189.00
  • Veeran Khandhar

    वे खंडहर हज़ारो सालो से वीरान थे. जहाँ पर जा कर इंसानी जिंदगी अपना दम तोड़ देती थी. जहाँ बरसो से इंसानी जिंदगी का नामोनिशान मौजूद नहीं था. वो उन्ही वीरान खंडहरों के पास एक लड़की से टकराया था जिस से मिल कर उसे ऐसा लगा जैसे कि वो उस लड़की को सदियों से जानता है. आखिर कौन थी वो? और सब से बड़ा सवाल कि वो कौन था? इंसान और जिन्नात की ऐसी दास्तान जो आप को सोचने पर मजबूर कर देगी कि आखिर इन दोनों मखलुकों मे ताकतवर कौन है.? आखिर क्या था उन वीरान खंडहरों का रहस्य.? क्या वो सिर्फ वीरान खंडहर थे. या फिर वो दूसरी दुनिया तक पहुंचने का द्वार थे. कौन थी वो….?और कौन था वो……? इंसानों और जिन्नो की ऐसी दास्तान जो आप के रोंगटे खडे कर देगी और किताब का एक पन्ना पन्ना आप को पड़नें को मजबूर कर देगी..बिलकुल एक अलग एक नई तरह की कहानी जिसे आप सालो साल भूल नहीं पाएंगे

    195.00
  • Yaksh Prashn

    श्री हरि की सर्वश्रेष्ठ हास्य व्यंग्य कहानियों का एक अनुपम संकलन है “यक्ष प्रश्न” । समाज , राजनीति और अन्य विषयों पर करारा व्यंग्य कसते हुए पाठकों के दिल में गुदगुदी और अधरों पर एक मीठी हंसी बिखेरने वाली अद्भुत पुस्तक है यक्ष प्रश्न । पति पत्नी के मध्य कभी ना समाप्त होने वाले शीत युद्ध का प्रकटीकरण जिसमें वायु में बसी हुई सुगंध की तरह प्यार छुपा हुआ होता है , का सुंदर प्रस्तुतिकरण है यक्ष प्रश्न । एक ऐसी पुस्तक जिसे बार बार पढने की इच्छा हो, वह पुस्तक है यक्ष प्रश्न । एक अनुभवी लेखक की पैनी नजर से कुछ भी नहीं छूटता है । आजकल के हालातों का खूबसूरत चित्रण है यक्ष प्रश्न । पढोगे तो समझोगे न ।

    230.00