-
Shabdam
शब्दम एक ऐसा काव्य संग्रह है जिसमें प्रकति प्रेम वियोग एवं देशप्रेम जैसी अनेक कविताओं को बहुत ही मार्मिक ढंग से दर्शाया गया है शब्दम अनेक विधाओं से संजोया हुआ अनूदित काव्य संग्रह है जो हमारे समाज एवं साहित्य प्रेमियों को एक नई दिसा की ओर ले जायेगा।
-
Shabdon ke Mele
‘शब्दों के मेले ‘ काव्य संग्रह में यूँ तो विविध प्रकार की कविताओं का रसास्वादन पाठक गण कर सकतें हैं किंतु मुख्य रूप से जीवन में आने वाली चुनौतियों से हार न मानने व अपने जीवन को सार्थक लक्ष्य के साथ जीना यही कविता द्वारा संदेश देने की कोशिश की गई है क्योंकि लक्ष्य विहिन जीवन का कोई मोल नहीं होता |
-
Shree – Suno Na
शिव तक मेरी दीवानगी पहुंच चुकी थी.. जाहिर भी था.. मैं भी अपनी भावनाएं शायरी की या ग़ज़ल के रूप में उन तक पहुंचाने लगी थी.. पर बिना प्रतिउत्तर की चाह लिए… वो जो मुझे दे रहे थे वो सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए था.. अपनी व्यस्त सी जिंदगी से बचाकर कुछ वक़्त..और इस तरह एक खूबसूरत रिश्ते की शुरूवात हमारे बीच हो गई.. कोई शर्त नहीं कोई चाहत नहीं.. ना पाने की लालसा न खोने का डर… बरसों इस रिश्ते को जी लेंगे इसी तरह.. मुझे लगता है रिश्ते निभाना बहुत आसान और सरल होता है… बस आपसी सामंजस्य सही हो… प्यार तो आबाद ही करता है… ना जाने लोग इसे बर्बादी क्यों कहते हैं..
-
Swadesh Chalo
सुजाॅय एक अमीर घर का बिगड़ा हुआ लड़का है। एक छोटी सी गलतफहमी के चलते उसकी शादी माहिरा नाम की मेड से हो जाती है। पर सुजाॅय की आदतों से परेशान माहिरा एक दिन उसे छोड़कर चली जाती है। इसके बाद सुजाॅय को अपनी गलतियों का एहसास भी होता है। माहिरा के अतीत के कुछ राज़ हैं जिनसे सुजाॅय अंजान है। क्या होगा जब उसके अतीत का सच सुजाॅय के सामने आएगा…? आखिर क्या है उसके अतीत की सच्चाई जिसे जान लेने के बाद माहिरा के प्रति सुजाॅय की तड़प और बढ़ जाती है ? क्या वक्त रहते सुजाॅय माहिरा को ढूंढ पाएगा ? और इस दौरान इन दोनों के जीवन में कितनी उथल- पुथल मचेगी ?
-
Talab
रोज की तरह आज भी अपनी बुलेट से समर café में आया था, समर का ये रूटीन था कि वो दोपहर का खाना खाकर café में आ जाता था और तब तक रहता था जब तक café बंद ना हो जाये, बुलेट पार्किंग में खड़ी करने के बाद समर अपने ही अंदाज़ में चलता हुआ café में आया, एक नज़र पूरे café में घुमाई और उसकी नज़र काजल पर जाकर ठहर गई, एक पल काजल को देखने के बाद समर अपनी उस सीट की तरफ देखने लगा जहाँ वो रोज़ आकर बैठता था, उसकी सीट पर कोई नहीं बैठा था।
-
-
Tumhara Aakhri Khat
जिस दर्द को मुक्ता बीस सालों से अपने मन में छुपाए थी आज वह फिर से हरे हो गए जिस आलोक की यादों को उसने अतीत के गलियारे में दफ़न कर दिया था आज वह बाहर आ गए वह आलोक के सामने जाना नहीं चाहती थी पर रमा की कसम के आगे वह मजबूर थी मुक्ता रमा की किसी बात को टाल नहीं सकती थी क्योंकि रमा मुक्ता के हर दुःख में हर क़दम पर उसके साथ थी आज रमा की इच्छा पूर्ति के लिए ही वह कालेज के ज़लसे में जाने को तैयार हुई थी जबकि उसे पता था वहां उसे आलोक का सामना करना पड़ेगा जो उसके लिए बहुत ही दुःख दायी होगा
-
Vasuli
धोत्रे जमील से कहता है “कदम साहब का काम सोच समझ कर करना उनका नाम सुना है ना,बोलते कम हैं ठोकते ज्यादा है,”!! वह पिस्टल का इशारा करता है, !! धोत्रे कहता है , “अभी तुम दोनो कांदिवली चारकोप में जाओगे वहा भरत इंडस्ट्रीज में जा के बोलना बड़े साहब ने भेजा है , वो पैकेट दे दो ,और उधरिच कितना है वो गिन के लेने का वरना ये साले बहुत हरामी होते हैं 10 बोलेंगे नौ डालेंगे, साहब अपनी बजाते हैं, भरत का नंबर लिख ले ,”!! वह नंबर लिखता है,
-
-