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12:20 Mystery Of Richel Vila
और फिर अपने नुकीले दांतो को एलिना के गरदन में गड़ा दिया…बस घुटी घुटी सी एक चीख ही निकल पाई थी एलिना के मुँह से….खून का फव्वारा फुट पड़ा उसकी गरदन से। और खून के फव्वारे के साथ ही एलिना की एक आखिरी चीख गूंजी….! गूंजी नही,बस उस बाथरूम में ही घुट कर रह गई। उसकी आतंकित आंखे उबल पड़ी थी, और सांसे ,सांसे थमने लगी थी। “क्या हुआ जब इंसान और बाघ के संयोग से जन्मा शिशु बड़ा हो कर अपने पैशाचिक कुकृत्यों से पूरे शहर जो थर्राने पर मजबूर कर दिया?” रहस्य और रोमांच से भरपूर रिचल विला के इस हैरतअंगेज सफर में जाने के लिए कमर कस लें ,क्योंकि ये एक शख्स की कहानी है जो न तो पूरी तरह इंसान है ना पूरी तरह जानवर।
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Ajeeb
सुमेधा एक झटके से उठ कर बैठ गयी…और घबराते हुए इधर उधर देखने लगी….वो भयानक साया और उसकी लाल आंखे अब भी उसके जेहन में घूम रही थी….उसने अपना सर पकड़ लिया जो बहुत दर्द कर रहा था एक तो टूटी हड्डी का दर्द ऊपर से अब सर भी बहुत दर्द हो रहा था….शायद सुबह हो चुकी थी…थोड़ी बहुत रोशनी उस अंधेरी कोठरी में भी आ रही थी….सुमेधा ने अपने टूटे हुए पैर को देखा…टूटी हुई हड्डी साफ नजर आ रही थी….और सूजन भी काफी बढ़ चुकी थी..ये वो अच्छी तरह से जानती थी कि अगर समय पर इसका इलाज न किया गया तो इन्फेक्शन बढ़ने की वजह से उसका पैर सड़ने लगेगा और काटना भी पड़ सकता है….यहाँ तो जिंदगी के लाले पड़े हैं और उसे पैर की चिंता हो रही है….उसे अपने ही विचार पर गुस्सा आने लगा! उसे प्यास भी लग रही थी और भूख भी…
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Akshat
सोचो अगर शादी के बाद किसी को बता दिया जाय कि उसकी दुल्हन जीवित ही नहीं बल्कि एक लाश है जो हर रोज अर्धरात्रि में मृतप्राय हो जाती है तो उसपे क्या गुजरेगी,वो मंजर कैसा होगा,ऐसा ही कुछ था मनसा कि पत्नी मानवी के साथ मानवी हर रोज अर्धरात्रि में मृत्यु के करीब पहुंच जाती थी यह अक्षति तांत्रिक क्रिया का अनोखा खेल था जिसके द्वारा किसी और युवती की रूह को मानवी के जिस्म में प्रवेश करा दिया गया था जिसके चलते वो आत्मा उसके जिस्म को हर रोज अर्धरात्रि के समयछोड़कर स्वच्छंद विचरण करती थी जिसके चलते मानवी का जिस्म निस्प्राण अवस्था में पहुंच जाता था..
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Beti
राजीव-बधाई हो दोस्त लक्ष्मी जी का तीसरा अवतार जो तेरे घर आया है।
आशुतोष-राजीव ! वास्तव में बेटी मेरे लिए लक्ष्मी ही हैं।
राजीव-लेकिन भाई मेरे तीन तीन बेटियों के विवाह के लिए अभी से व्यवस्था करनी पड़ेगी। आखिर महंगाई का जमाना है। एक नौकरी में सब कैसे कर पाओगे?
आशुतोष-चिंता मत कर राजीव बेटियां अपना भाग्य खुद लेकर आती हैं,हमें तो बस उन्हें अच्छी राह दिखानी होती है। थोड़ा मार्गदर्शन करना होता है।
राजीव-भाई मैं ठहरा साफ्टवेयर इंजीनियर , तुम्हारी दार्शनिक बातें मेरी समझ में नहीं आने वाली। चल खाना खाते हैं। -
Bhediya
धीरे-धीरे तमस की त्वचा भी भांप बनकर उङने लगी थी , थोङी देर के उपरांत कुछ बचा था तो सिर्फ उसका नर कंकाल , तमस का अध्याय समाप्त हो चुका था , न जाने कितनी सदियाँ वह जिया था ,
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Craze Of Jimmi
उपन्यास एक लड़की के जुनून की कहानी है । जुनून एक उड़ान की, संघर्षों से सफलता तक पहुंचने का जुनुन। ये कहानी है एक सच्चे प्रेम की । एक मध्यम वर्गीय परिवार की रहने वाली अनन्या एमी जो ड्रिसिक्यूफू से पीड़ित है । जिसके पास अपने सपनों में अपने भविष्य से संबंधित घटनाओं को देख पाने की शक्ति है । जिसका सपना है एक प्रसिद्ध व शक्तिशाली युवती बनना । उसे एक शक्तिशाली व टाइकून उद्योगपति से आकर्षण हो जाता है । उनके मध्य परस्पर प्रेम पनपता है । अभी उनका प्रेम गठबंधन के प्रथम पड़ाव पर ही रहता है, कि अनन्या एमी का मन पुन: सपनों के तरफ भटकने लगता है और वह अपनी उड़ान के लिए वापस अपने शहर का रुख करती है । विपरीत परिस्थितियों व कठिन संघर्षों का सामना करते हुए अंतत: वह एक सफल व प्रसिद्ध व्यक्तिव बनकर उभरती है
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CRIMINALS – Mission start now (Book 1)
मेरा नाम निशा है , इस कहानी की शुरुवात मुझसे ही होती है। मेरा मान ना है की क्राइम के होने की अपनी कोई वजह हो ना हो , क्रिमनल्स के होने की वजह ज़रूर होती है। मुझसे किसी ने प्यार किया , फिर धोखा दिया , फिर मेर गैंगरेप हुआ और फिर वो आये जिन्हे मैं क्रिमनल्स कहती हूँ। वो क्रिमिनल्स जिन्होंने मुझे मज़बूत बनाया , जीना सिखाया। मेरी ज़िन्दगी एक तिलिस्म है जिसे मैं तोडना चाहती हूँ लेकिन चाहकर भी तोड़ नहीं सकती क्योकि मैं जिनके बीच हूँ , जिनके साथ हूँ वो ऐसे वैसे क्रिमिनल्स नहीं हैं , वो अलग हैं तेज़ हैं खतरनाक हैं। मेरे जीवन के चार रहस्य हैं – कमिटी , मेडिकल एरर , एजेंट सेवन और तीन वीडियो क्लिप। इन रहस्यों को जान ने के बाद मुझे अहसास हुआ कि मैंने ये राज़ क्यों जाना। मुझे नहीं जान ना चाहिए था। अब मैं अपने आप से ही नफरत करने लगी हूँ , जबकि मुझे अपने आप से नफरत करने की वजह भी कुछ सही नहीं लगती .
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Dar : Koi to hai Ch 2
‘डर-कोई तो है-चैप्टर-1’ में शुरू हुआ ये खौफनाक सफर सन 1998 से शुरू होता है-जो धीरे-धीरे 2005-06 तक पहुंच जाता है और फिर सफर शुरू होता है श्रापित नगर-सम्पूर्ण नगर के इतिहास का जहां कुछ सवालों के जवाब मिलते हैं तो वहीं कई सवाल उठ खड़े होते हैं। उसी सफर की तारम्यता को निर्बाध रूप से चालू रखते हुए’डर-कोई तो है-चैप्टर-2’का निर्माण किया गया है,जिसमे उस इतिहास के बाद एक और इतिहास से रूबरू होने का मौका मिलता है। जंग-ए-आजादी के अतीत से शुरू हुआ ये सफर पुनः वर्तमान में आता है और वो सभी ‘राज़’ हमारे सामने खुल जाते हैं-जिनके लिए हमने ये डरावना और रोमांचकारी सफर शुरू किया था। उम्मीद ही नही वरन पूरा विश्वास है कि आपका ये सफर फिर से अत्यंत रोमांच से भरपूर और डरावना होने वाला है।
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Darr – Chapter 1 Koi to hai
बाकी शब्द उसके हलक में अटक गए मानो उसके गले मे सूखी रेत भर गई हो आंखे बाहर को उबलने लगी दिल और दिमाग सुन्न पड़ गए थे !नजारा ही कुछ ऐसा था क्योंकि मनोहर का चेहरा ही नही था ,चेहरा बिल्कुल सपाट था न आंखे ,न नाक, न होंठ बस बिल्कुल सपाट ! किशनपाल मानो लकवे का शिकार हो गया था वो आंखे फाड़ फाड़ कर केवल उस चहरे को ही देख रहा था ऐसा लग रहा था कि उसके शरीर ने काम करना बंद कर दिया था !दिमाग अंदर ही अंदर भागने की चेतावनी दे रहा था लेकिन मानो उसके पैर जमीन से चिपक गए हो ! तभी उसके अंदर मानो चेतना का संचार हुआ और वो लम्बी चीख मारते हुए भागने को हुआ लेकिन उस बिना चेहरे वाले इंसान ने उसके हाँथ पकड़ लिए और घरघराती और रीढ़ में सिहरन पैदा करने वाली भयानक और बर्फ जैसी ठंडी आवाज में बोला “मैं मनोहर नही हूँ” ये सुनते ही किशनपाल हाथ छुड़ा कर भागने लगा और भागते भागते ठोकर खाकर गिरा ! फिर उठ कर भागने को हुआ तो क्या देखता है वो तो उसी बाग के किनारे खड़ा है ये देख कर उसे गश आने लगी और वो बेहोश होकर गिर गया !
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Ek Pyala Khoon Ka
उसे विरासत में मिला था एक शैतान का साया,जो हर रात उसकी जिंदगी की किताब को ख़ून की स्याही से लिखने पर मजबूर कर देता था, अंधेरा घिरते ही इंसानी खून की प्यास उसे एक वहशी दरिंदे में बदल देती थी, आखिर कौन था यह नौजवान ? आखिर उससे हुआ क्या था? जानने के लिए जरूर पढ़ें इंडियन वैंपायर सीरीज एक प्याला खून
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Kaala Jadu
आँखे पहले की तरह वापस बंद हो गयी । जब पुनः खुली तो मै रसोई की उसी छत पर था , अनीशा मुझे हैरानी से देख रही थी , मुझे आँखे खोलते ही उसने मुझसे पूछा की क्या सोचा आपने इस बारे मे ? मैने उसे शांत रहने के लिए कहा फिर मैने लाल मणि वाली अंगूठी अपनी अनामिका से निकाल कर अपने बाएं हाथ की तर्जनी में पहन ली । फिर मैने अपनी वह उंगली सूर्य की ओर कर दी ,जैसे ही सूर्य की किरणें उस लालमणि पर पङी उस मणि से परिवर्तित होकर लाल रंग मे बदल गयी । फिर वो किरणें चारों ओर बिखरने लगी , उन किरणों कि जद मे जो भी जानवर आता जा रहा था वह सम्मोहन से मुक्त होकर वापस जंगल की ओर भाग रहा था । थोङी देर मे सारे जानवर जंगल मे चले गये । इस काम से अनीशा आश्चर्य भर उठी और बोली आकाश इस लालमणि की ताकत इतनी बङी है ।
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Kaanpur wala
कानपुर वाला जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है ये किताब कानपुर के इर्द गिर्द घूमती है।इस किताब में एक छोटे से लड़के के जुर्म की दुनिया मे कदम रखने से लेकर कानपुर के सबसे बड़े माफिया बनने तक का सफर है। इस सफर में उसे किन हालातों का सामना करना पड़ता है और किस ऊंचाई तक वो जाता है इसी सफर को आपके लिए लफ़्ज़ों में पिरोया है।
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Kabila
उस व्यक्ति ने जब उस पेंटिंग मे बनी हुई उन बिल्लियों की काउंटिंग की, और इस सोसायटी के लोगो कि तस्वीरों की गिनती की, तो वो और ज़्यादा हैरत मे पढ़ गया उस ने देखा दोनों कि तादाद (गिनती )बिलकुल एक ही थी.. उस ने देखा जो लोग झुण्ड कि तरह खडे हुए नीचे ज़मीन को देख रहे थे. उस ज़मीन पर एक सर्कल बना हुआ था जिस पर अजीब सी भाषा मे कुछ लिखा हुआ था और उस ज़मीन पर एक 8 या 9 साल का बच्चा आँखें बंद किये हुए लेटा हुआ था जो बेहोश था उस के गले मे एक लॉकेट था ये बिलकुल वैसा ही लॉकेट था।और उस लॉकेट मे एक प्रकाश निकल रहा था और वो प्रकाश ठीक उन बिल्लियों के चेहरे पर पड़ रहा था और ठीक उस बच्चे के बगल मे एक 7 या 8 फ़ीट कि चमगादड़ नुमा एक शख्स खड़ा हुआ उस बच्चे को खा जाने वाली आँखों से देख रहा था।
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Maa
समय के अनुसार मां के व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों को रचित किया गया है। मनुष्य के पारिवारिक जीवन में मां की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।। इस पुस्तक में एक बालक के जीवन के संघर्ष की वह कहानी है जिसमें वह जन्म के कुछ दिन बाद ही अपनी मां को खो देता है। इसके बाद उसके जीवन में आने वाली मां का व्यवहार, प्रारंभ में बहुत ही अच्छा रहता है लेकिन अचानक से उसके व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है और एक ममता की देवी मां सौतेलापन व्यवहार करने लगती है।
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Mayajaal
लेखक नृसिंह नारायण मिश्र का हाहाकारी उपन्यास ” मायाजाल ” रहस्य और रोमांच और जादुई मायाजालो से लबरेज़ है , इसका हर अध्याय पूरी किताब है , इसी मायाजाल की एक झलक हम आपकों प्रस्तुत कर रहे है.
” कभी नहीं हारने की सोच ने उसके अहंकार को पहाड़ कर दिया था. पर उसे यह किसी ने नहीं बताया की शेर का सवा शेर प्रकृति खुद खड़ा कर देती है, सुन तू जो कोई भी है अभी अवसर है वापिस चला जा वरना एक बार मेरी खड़ग म्यान से बाहर आ गई तो. तेरा रक्त पिए बिना वापस म्यान मे नहीं जाएगी और यह सुंदरी जो तेरे साथ खड़ी है.इसकी तारीफ के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है , ऐसा हुस्न कभी- कभी पैदा होता है. अगर तू इसे मुझे को सौंप दें तो, मैं तेरी जान बख्श दूंगा, ललाट चिल्लाकर बोला, अरे सुन बिलौटे शरीर पर लंबी धारी होने से बिल्ला शेर नहीं बन जाता समझे और ज्यादा बङबङाने वाला हमेशा मिट्टी का ढेर साबित होता है दुबे ने भी बराबर का जवाब दिया. फिर दुबे ने अरीबा नाम की तलवार निकालकर दोनों हाथ में थाम ली. तलवार को आकाश कीओर करके बोला है पवित्र तलवार सुन मैं बहुत बड़ा योद्धा नहीं हूं बस एक अदना सा गुलाम हूं अपने खुदा का.मैं चाहता हू कि तू मुझे अपनी पवित्र शक्ति से नवाजे ताकि मैं इस पिशाच का सर कलम कर सकूं. सबने देखा वह तलवार एकदम से लाल सुर्ख हो गई.जैसे उसने अभी-2 सैकड़ों का सिर काटा हो. एक तेज प्रकाश का कवच दुबे के इर्द-गिर्द घूम गया, जो यह बता रहा था कि दुबे अब उसके प्रभाव में है. -
Mohabbat khwab aur Tum
हेलो अवनि कैसी हो खबर तो मिल गई होगी तुम्हें बहुत शौक था न तुम्हें अनाथ बच्चों की सेवा करने का अब इसकी किमत तुम्हें अनाथ बनकर चुकानी पड़ेगी .. हा हा हा ..! फिर फ़ोन कट गया था और मैं बस हेलो हेलो कर रही थी और विराज जो ड्राइविंग कर रहा था और मुझे देख रहा था वह भी घबराया हुआ था मेरी हालत देखकर और बार बार पूछ रहा था .. “क्या हुआ अवनि किसका फोन था क्या कह रहा था”! और मैं …! मैं — बस जल्दी गाड़ी तेज चलाओ मुझे घर पहुंचना है । मैं कह रही थी और मेरी आंखों से लगातार आंसू बहे जा रह थे ..दिमाग काम नहीं कर रहा था कि वह फोन किसका था और तभी मुझे एहसास हुआ था कि ये आवाज़ कुछ जानी पहचानी थी और फिर मेरे होश उड़ गए थे ये आवाज़ आश्रम के फादर की थी जो कि उस निधि वाले और विराज और मेरे एक्सीडेंट के बाद से फरार थे और उन्होंने अपना बदला मुझसे ऐसे लिया था ..! मेरे तो होश ही उड़ गए थे । मैं बहुत घबरायी हुईं थी और दुबारा उसी नंबर को डायल कर रही थी मगर वह नंबर आऊट आफ नेटवर्क बता रहा था और इसी कशमकश और डर घबराहट में जब हमारी गाड़ी मेरे घर के पास पहुंचने वाली थी तो वहां पर लोगों की बहुत बड़ी भीड़ उमड़ी हुई थी और आसमान में धुआं उठ रहा और सब कुछ काला काला नज़र आ रहा था और हवा में गर्माहट महसूस हो रही थी जैसे आग …. विराज ने गाड़ी वहीं पर रोकी थी और मैं जल्दी से भीड़ को चीरते हुए अन्दर बढ़ी थी ।सब कुछ खतम हो गया नेहा सब कुछ मैं अनाथ आश्रम में काम करते करते खुद अनाथ हो गई हूं फादर ने मेरा बदला मेरे माता-पिता से ले लिया था मैं अनाथ हो … “”! कहते कहते कब मेरी आंखे बंद हो गई थी फिर से मुझे कुछ होश नहीं था ।
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Narkesari – Akash Series book 4
धीरे-धीरे तमस की त्वचा भी भांप बनकर उङने लगी थी , थोङी देर के उपरांत कुछ बचा था तो सिर्फ उसका नर कंकाल , तमस का अध्याय समाप्त हो चुका था , न जाने कितनी सदियाँ वह जिया था ,
₹280.00 -