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  • Mayajaal

    लेखक नृसिंह नारायण मिश्र का हाहाकारी उपन्यास ” मायाजाल ” रहस्य और रोमांच और जादुई मायाजालो से लबरेज़ है , इसका हर अध्याय पूरी किताब है , इसी मायाजाल की एक झलक हम आपकों प्रस्तुत कर रहे है.
    ” कभी नहीं हारने की सोच ने उसके अहंकार को पहाड़ कर दिया था. पर उसे यह किसी ने नहीं बताया की शेर का सवा शेर प्रकृति खुद खड़ा कर देती है,  सुन तू जो कोई भी है अभी अवसर है वापिस चला जा वरना एक बार मेरी खड़ग म्यान से बाहर आ गई तो. तेरा रक्त पिए   बिना वापस म्यान मे  नहीं जाएगी और यह सुंदरी जो तेरे साथ खड़ी है.इसकी तारीफ के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है , ऐसा हुस्न कभी- कभी पैदा होता है. अगर तू इसे मुझे को सौंप दें तो, मैं तेरी जान बख्श  दूंगा,  ललाट चिल्लाकर बोला,  अरे सुन  बिलौटे शरीर पर लंबी धारी  होने से  बिल्ला शेर नहीं बन जाता समझे  और ज्यादा बङबङाने वाला   हमेशा मिट्टी का ढेर साबित  होता है दुबे ने भी बराबर का जवाब दिया. फिर  दुबे ने अरीबा  नाम की तलवार निकालकर दोनों हाथ में थाम ली. तलवार को आकाश कीओर करके बोला है पवित्र तलवार सुन मैं  बहुत बड़ा योद्धा नहीं हूं बस एक अदना सा गुलाम हूं अपने खुदा का.मैं चाहता हू कि तू मुझे अपनी पवित्र शक्ति से नवाजे ताकि मैं इस पिशाच  का सर कलम कर सकूं. सबने  देखा वह तलवार एकदम से लाल सुर्ख हो गई.जैसे उसने अभी-2  सैकड़ों का सिर काटा हो. एक तेज प्रकाश का कवच दुबे के इर्द-गिर्द घूम गया,  जो यह बता रहा था कि दुबे अब  उसके प्रभाव में है.

     

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