Poison
₹230.00
Categories: | Crime, Genre Fiction, Horror, Mystery, Thriller & Suspense |
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Weight | 0.211 kg |
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book-author | |
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Kaala Jadu
आँखे पहले की तरह वापस बंद हो गयी । जब पुनः खुली तो मै रसोई की उसी छत पर था , अनीशा मुझे हैरानी से देख रही थी , मुझे आँखे खोलते ही उसने मुझसे पूछा की क्या सोचा आपने इस बारे मे ? मैने उसे शांत रहने के लिए कहा फिर मैने लाल मणि वाली अंगूठी अपनी अनामिका से निकाल कर अपने बाएं हाथ की तर्जनी में पहन ली । फिर मैने अपनी वह उंगली सूर्य की ओर कर दी ,जैसे ही सूर्य की किरणें उस लालमणि पर पङी उस मणि से परिवर्तित होकर लाल रंग मे बदल गयी । फिर वो किरणें चारों ओर बिखरने लगी , उन किरणों कि जद मे जो भी जानवर आता जा रहा था वह सम्मोहन से मुक्त होकर वापस जंगल की ओर भाग रहा था । थोङी देर मे सारे जानवर जंगल मे चले गये । इस काम से अनीशा आश्चर्य भर उठी और बोली आकाश इस लालमणि की ताकत इतनी बङी है ।
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Beti
राजीव-बधाई हो दोस्त लक्ष्मी जी का तीसरा अवतार जो तेरे घर आया है।
आशुतोष-राजीव ! वास्तव में बेटी मेरे लिए लक्ष्मी ही हैं।
राजीव-लेकिन भाई मेरे तीन तीन बेटियों के विवाह के लिए अभी से व्यवस्था करनी पड़ेगी। आखिर महंगाई का जमाना है। एक नौकरी में सब कैसे कर पाओगे?
आशुतोष-चिंता मत कर राजीव बेटियां अपना भाग्य खुद लेकर आती हैं,हमें तो बस उन्हें अच्छी राह दिखानी होती है। थोड़ा मार्गदर्शन करना होता है।
राजीव-भाई मैं ठहरा साफ्टवेयर इंजीनियर , तुम्हारी दार्शनिक बातें मेरी समझ में नहीं आने वाली। चल खाना खाते हैं। -
Raghuvanshi – Vachanbadhh Raja Ki Gatha ( Part 1)
रघुवंशी – वचनबद्ध राजा की गाथा। यह किताब एक सस्पेंस थ्रिलर, फिक्शन सीरियल ड्रामा का पहला भाग है। यह वचनबद्ध पर आधारित कहानी है। रघुराज रघुवंशी एक बहुत बड़ें साम्राज्य के वचनबद्ध राजा हैं, अगर राजा रघुराज रघुवंशी का वचन टूटा तो वह स्वयं अपने प्राण त्याग देंगे, वचनबद्ध होने के कारण राजा के जीवन में तरह-तरह की चुनौतियां आती हैं, राजा रघुराज रघुवंशी इन चुनौतियों का सामना कैसे करते है, जानने के लिए पढ़ें “ रघुवंशी ” वचनबद्ध राजा की गाथा ।
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Mohabbat khwab aur Tum
हेलो अवनि कैसी हो खबर तो मिल गई होगी तुम्हें बहुत शौक था न तुम्हें अनाथ बच्चों की सेवा करने का अब इसकी किमत तुम्हें अनाथ बनकर चुकानी पड़ेगी .. हा हा हा ..! फिर फ़ोन कट गया था और मैं बस हेलो हेलो कर रही थी और विराज जो ड्राइविंग कर रहा था और मुझे देख रहा था वह भी घबराया हुआ था मेरी हालत देखकर और बार बार पूछ रहा था .. “क्या हुआ अवनि किसका फोन था क्या कह रहा था”! और मैं …! मैं — बस जल्दी गाड़ी तेज चलाओ मुझे घर पहुंचना है । मैं कह रही थी और मेरी आंखों से लगातार आंसू बहे जा रह थे ..दिमाग काम नहीं कर रहा था कि वह फोन किसका था और तभी मुझे एहसास हुआ था कि ये आवाज़ कुछ जानी पहचानी थी और फिर मेरे होश उड़ गए थे ये आवाज़ आश्रम के फादर की थी जो कि उस निधि वाले और विराज और मेरे एक्सीडेंट के बाद से फरार थे और उन्होंने अपना बदला मुझसे ऐसे लिया था ..! मेरे तो होश ही उड़ गए थे । मैं बहुत घबरायी हुईं थी और दुबारा उसी नंबर को डायल कर रही थी मगर वह नंबर आऊट आफ नेटवर्क बता रहा था और इसी कशमकश और डर घबराहट में जब हमारी गाड़ी मेरे घर के पास पहुंचने वाली थी तो वहां पर लोगों की बहुत बड़ी भीड़ उमड़ी हुई थी और आसमान में धुआं उठ रहा और सब कुछ काला काला नज़र आ रहा था और हवा में गर्माहट महसूस हो रही थी जैसे आग …. विराज ने गाड़ी वहीं पर रोकी थी और मैं जल्दी से भीड़ को चीरते हुए अन्दर बढ़ी थी ।सब कुछ खतम हो गया नेहा सब कुछ मैं अनाथ आश्रम में काम करते करते खुद अनाथ हो गई हूं फादर ने मेरा बदला मेरे माता-पिता से ले लिया था मैं अनाथ हो … “”! कहते कहते कब मेरी आंखे बंद हो गई थी फिर से मुझे कुछ होश नहीं था ।
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Mayajaal
लेखक नृसिंह नारायण मिश्र का हाहाकारी उपन्यास ” मायाजाल ” रहस्य और रोमांच और जादुई मायाजालो से लबरेज़ है , इसका हर अध्याय पूरी किताब है , इसी मायाजाल की एक झलक हम आपकों प्रस्तुत कर रहे है.
” कभी नहीं हारने की सोच ने उसके अहंकार को पहाड़ कर दिया था. पर उसे यह किसी ने नहीं बताया की शेर का सवा शेर प्रकृति खुद खड़ा कर देती है, सुन तू जो कोई भी है अभी अवसर है वापिस चला जा वरना एक बार मेरी खड़ग म्यान से बाहर आ गई तो. तेरा रक्त पिए बिना वापस म्यान मे नहीं जाएगी और यह सुंदरी जो तेरे साथ खड़ी है.इसकी तारीफ के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है , ऐसा हुस्न कभी- कभी पैदा होता है. अगर तू इसे मुझे को सौंप दें तो, मैं तेरी जान बख्श दूंगा, ललाट चिल्लाकर बोला, अरे सुन बिलौटे शरीर पर लंबी धारी होने से बिल्ला शेर नहीं बन जाता समझे और ज्यादा बङबङाने वाला हमेशा मिट्टी का ढेर साबित होता है दुबे ने भी बराबर का जवाब दिया. फिर दुबे ने अरीबा नाम की तलवार निकालकर दोनों हाथ में थाम ली. तलवार को आकाश कीओर करके बोला है पवित्र तलवार सुन मैं बहुत बड़ा योद्धा नहीं हूं बस एक अदना सा गुलाम हूं अपने खुदा का.मैं चाहता हू कि तू मुझे अपनी पवित्र शक्ति से नवाजे ताकि मैं इस पिशाच का सर कलम कर सकूं. सबने देखा वह तलवार एकदम से लाल सुर्ख हो गई.जैसे उसने अभी-2 सैकड़ों का सिर काटा हो. एक तेज प्रकाश का कवच दुबे के इर्द-गिर्द घूम गया, जो यह बता रहा था कि दुबे अब उसके प्रभाव में है. -
Lukaash
साहिल कम्पनी की ओर से एक मीटिंग अटेंड करने दुबई के लिए घर से निकलता है लेकिन रास्ते में हुए भयानक हादसे की वजह से पहुंच जाता है एक अनजान और सुनसान द्वीप पर । लेकिन वो वहां अकेला नहीं है , वहां रहता है एक खून का प्यासा वेम्पायर और उसकी पिशाच सेना । जो बरसों से इंतजार में हैं किसी ऐसे शख्स की जो बुझाए उसकी खून की प्यास । जिसका मकसद है दुनिया पर हुकूमत कायम करना । जो खुद में समेटे हुए है कई राज । जिसके जाल में फसां साहिल जितना उसे जानने की कोशिश करता है , उतना ही उलझता जाता है ।
साथ ही मिलते हैं और कुछ ऐसे पात्र जो साहिल की जिंदगी में उथल-पुथल मचा देते हैं । क्या साहिल वेम्पायर के जाल से बच सका ? ऐसे कौन से राज है जिन्हें जानने के बाद साहिल खुद उलझ जाता है ? कौन है वो लोग जो साहिल से मिलते हैं ? जानने के लिए पढ़िए रहस्य , रोमांच , एक्शन के साथ-साथ नफ़रत और जज्बातों से भरी दास्तां – लुकास (खूनी दरिन्दा)
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Veeran Khandhar
वे खंडहर हज़ारो सालो से वीरान थे. जहाँ पर जा कर इंसानी जिंदगी अपना दम तोड़ देती थी. जहाँ बरसो से इंसानी जिंदगी का नामोनिशान मौजूद नहीं था. वो उन्ही वीरान खंडहरों के पास एक लड़की से टकराया था जिस से मिल कर उसे ऐसा लगा जैसे कि वो उस लड़की को सदियों से जानता है. आखिर कौन थी वो? और सब से बड़ा सवाल कि वो कौन था? इंसान और जिन्नात की ऐसी दास्तान जो आप को सोचने पर मजबूर कर देगी कि आखिर इन दोनों मखलुकों मे ताकतवर कौन है.? आखिर क्या था उन वीरान खंडहरों का रहस्य.? क्या वो सिर्फ वीरान खंडहर थे. या फिर वो दूसरी दुनिया तक पहुंचने का द्वार थे. कौन थी वो….?और कौन था वो……? इंसानों और जिन्नो की ऐसी दास्तान जो आप के रोंगटे खडे कर देगी और किताब का एक पन्ना पन्ना आप को पड़नें को मजबूर कर देगी..बिलकुल एक अलग एक नई तरह की कहानी जिसे आप सालो साल भूल नहीं पाएंगे
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Darr – Chapter 1 Koi to hai
बाकी शब्द उसके हलक में अटक गए मानो उसके गले मे सूखी रेत भर गई हो आंखे बाहर को उबलने लगी दिल और दिमाग सुन्न पड़ गए थे !नजारा ही कुछ ऐसा था क्योंकि मनोहर का चेहरा ही नही था ,चेहरा बिल्कुल सपाट था न आंखे ,न नाक, न होंठ बस बिल्कुल सपाट ! किशनपाल मानो लकवे का शिकार हो गया था वो आंखे फाड़ फाड़ कर केवल उस चहरे को ही देख रहा था ऐसा लग रहा था कि उसके शरीर ने काम करना बंद कर दिया था !दिमाग अंदर ही अंदर भागने की चेतावनी दे रहा था लेकिन मानो उसके पैर जमीन से चिपक गए हो ! तभी उसके अंदर मानो चेतना का संचार हुआ और वो लम्बी चीख मारते हुए भागने को हुआ लेकिन उस बिना चेहरे वाले इंसान ने उसके हाँथ पकड़ लिए और घरघराती और रीढ़ में सिहरन पैदा करने वाली भयानक और बर्फ जैसी ठंडी आवाज में बोला “मैं मनोहर नही हूँ” ये सुनते ही किशनपाल हाथ छुड़ा कर भागने लगा और भागते भागते ठोकर खाकर गिरा ! फिर उठ कर भागने को हुआ तो क्या देखता है वो तो उसी बाग के किनारे खड़ा है ये देख कर उसे गश आने लगी और वो बेहोश होकर गिर गया !
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