Ajeeb 3 Last Destination
₹245.00
Categories: | Crime, Genre Fiction, Horror, Mystery, Thriller & Suspense |
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Weight | 0.211 kg |
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book-author | |
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Ajeeb
सुमेधा एक झटके से उठ कर बैठ गयी…और घबराते हुए इधर उधर देखने लगी….वो भयानक साया और उसकी लाल आंखे अब भी उसके जेहन में घूम रही थी….उसने अपना सर पकड़ लिया जो बहुत दर्द कर रहा था एक तो टूटी हड्डी का दर्द ऊपर से अब सर भी बहुत दर्द हो रहा था….शायद सुबह हो चुकी थी…थोड़ी बहुत रोशनी उस अंधेरी कोठरी में भी आ रही थी….सुमेधा ने अपने टूटे हुए पैर को देखा…टूटी हुई हड्डी साफ नजर आ रही थी….और सूजन भी काफी बढ़ चुकी थी..ये वो अच्छी तरह से जानती थी कि अगर समय पर इसका इलाज न किया गया तो इन्फेक्शन बढ़ने की वजह से उसका पैर सड़ने लगेगा और काटना भी पड़ सकता है….यहाँ तो जिंदगी के लाले पड़े हैं और उसे पैर की चिंता हो रही है….उसे अपने ही विचार पर गुस्सा आने लगा! उसे प्यास भी लग रही थी और भूख भी…
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Darr – Chapter 1 Koi to hai
बाकी शब्द उसके हलक में अटक गए मानो उसके गले मे सूखी रेत भर गई हो आंखे बाहर को उबलने लगी दिल और दिमाग सुन्न पड़ गए थे !नजारा ही कुछ ऐसा था क्योंकि मनोहर का चेहरा ही नही था ,चेहरा बिल्कुल सपाट था न आंखे ,न नाक, न होंठ बस बिल्कुल सपाट ! किशनपाल मानो लकवे का शिकार हो गया था वो आंखे फाड़ फाड़ कर केवल उस चहरे को ही देख रहा था ऐसा लग रहा था कि उसके शरीर ने काम करना बंद कर दिया था !दिमाग अंदर ही अंदर भागने की चेतावनी दे रहा था लेकिन मानो उसके पैर जमीन से चिपक गए हो ! तभी उसके अंदर मानो चेतना का संचार हुआ और वो लम्बी चीख मारते हुए भागने को हुआ लेकिन उस बिना चेहरे वाले इंसान ने उसके हाँथ पकड़ लिए और घरघराती और रीढ़ में सिहरन पैदा करने वाली भयानक और बर्फ जैसी ठंडी आवाज में बोला “मैं मनोहर नही हूँ” ये सुनते ही किशनपाल हाथ छुड़ा कर भागने लगा और भागते भागते ठोकर खाकर गिरा ! फिर उठ कर भागने को हुआ तो क्या देखता है वो तो उसी बाग के किनारे खड़ा है ये देख कर उसे गश आने लगी और वो बेहोश होकर गिर गया !
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Akshat
सोचो अगर शादी के बाद किसी को बता दिया जाय कि उसकी दुल्हन जीवित ही नहीं बल्कि एक लाश है जो हर रोज अर्धरात्रि में मृतप्राय हो जाती है तो उसपे क्या गुजरेगी,वो मंजर कैसा होगा,ऐसा ही कुछ था मनसा कि पत्नी मानवी के साथ मानवी हर रोज अर्धरात्रि में मृत्यु के करीब पहुंच जाती थी यह अक्षति तांत्रिक क्रिया का अनोखा खेल था जिसके द्वारा किसी और युवती की रूह को मानवी के जिस्म में प्रवेश करा दिया गया था जिसके चलते वो आत्मा उसके जिस्म को हर रोज अर्धरात्रि के समयछोड़कर स्वच्छंद विचरण करती थी जिसके चलते मानवी का जिस्म निस्प्राण अवस्था में पहुंच जाता था..
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Yadon ke Jharokho se
यह उपन्यास उन सभी देशी एवं विदेशी प्रेंमी प्रेंमिकाओं को समर्पित है, जिन्हों ने , ” उस प्रेंम की उदात्त कोमल भावनाओं को अपनें हृदय से महशूस किया है।” प्रेंम और वासनाएं जीवन के दो पहलू हैं, दोनों एक दूसरें के पूरक होतें हुए भी एक दूसरे से भिन्न हैं, किन्तु दोनों का अस्तित्व एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। जिस तरह दिन की पहिंचान रात्रि से होती है, ठीक उसी प्रकार प्रेंम और वासना का अपनें अपनें स्थान पर महत्व है। आज की भागमभाग जिंदगी में भी उस प्रेंम के दर्शन यदा कदा हो जातें हैं,किन्तु आज की विपरीत परिस्थितियों में इस प्रेंम का रूप ही विकृत हो चला है, अधिकांशतया स्वतंत्र जीवन शैली नें वहुत कुछ खो दिया है, आज के परिपेक्ष में प्रेंम तो है किंतु अधिकांश क्षणिक आकर्षण में सिमट कर अपनें द्वितीय रूप में आचुका है। जो हमारी भारतीय संस्कृति और चारित्रिक भावनाओं को ठेस पहुँचानें के साथ साथ हमारें नैतिक मूल्यों के ह्रास की ओर संकेत करता ही दिखलाई देता है। ” प्रेंम की भावना को समझना और उसे अहसास करना हर किसी प्रेंमी के बश की बात नहीं “। इसलिए इस विषय पर कुछ अधिक ना कह कर सिर्फ़ इतना कहना है कि “कलम तू इस हसीन जज़्बा की कहाँ तक वक़ालत करेगी ? इसलिए सिर्फ मौन ही रहकर इसका अहसास अपनें हृदय में कर तो बेहतर है। “ -
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CRIMINALS – Mission start now (Book 1)
मेरा नाम निशा है , इस कहानी की शुरुवात मुझसे ही होती है। मेरा मान ना है की क्राइम के होने की अपनी कोई वजह हो ना हो , क्रिमनल्स के होने की वजह ज़रूर होती है। मुझसे किसी ने प्यार किया , फिर धोखा दिया , फिर मेर गैंगरेप हुआ और फिर वो आये जिन्हे मैं क्रिमनल्स कहती हूँ। वो क्रिमिनल्स जिन्होंने मुझे मज़बूत बनाया , जीना सिखाया। मेरी ज़िन्दगी एक तिलिस्म है जिसे मैं तोडना चाहती हूँ लेकिन चाहकर भी तोड़ नहीं सकती क्योकि मैं जिनके बीच हूँ , जिनके साथ हूँ वो ऐसे वैसे क्रिमिनल्स नहीं हैं , वो अलग हैं तेज़ हैं खतरनाक हैं। मेरे जीवन के चार रहस्य हैं – कमिटी , मेडिकल एरर , एजेंट सेवन और तीन वीडियो क्लिप। इन रहस्यों को जान ने के बाद मुझे अहसास हुआ कि मैंने ये राज़ क्यों जाना। मुझे नहीं जान ना चाहिए था। अब मैं अपने आप से ही नफरत करने लगी हूँ , जबकि मुझे अपने आप से नफरत करने की वजह भी कुछ सही नहीं लगती .
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Kabila
उस व्यक्ति ने जब उस पेंटिंग मे बनी हुई उन बिल्लियों की काउंटिंग की, और इस सोसायटी के लोगो कि तस्वीरों की गिनती की, तो वो और ज़्यादा हैरत मे पढ़ गया उस ने देखा दोनों कि तादाद (गिनती )बिलकुल एक ही थी.. उस ने देखा जो लोग झुण्ड कि तरह खडे हुए नीचे ज़मीन को देख रहे थे. उस ज़मीन पर एक सर्कल बना हुआ था जिस पर अजीब सी भाषा मे कुछ लिखा हुआ था और उस ज़मीन पर एक 8 या 9 साल का बच्चा आँखें बंद किये हुए लेटा हुआ था जो बेहोश था उस के गले मे एक लॉकेट था ये बिलकुल वैसा ही लॉकेट था।और उस लॉकेट मे एक प्रकाश निकल रहा था और वो प्रकाश ठीक उन बिल्लियों के चेहरे पर पड़ रहा था और ठीक उस बच्चे के बगल मे एक 7 या 8 फ़ीट कि चमगादड़ नुमा एक शख्स खड़ा हुआ उस बच्चे को खा जाने वाली आँखों से देख रहा था।
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Maa
समय के अनुसार मां के व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों को रचित किया गया है। मनुष्य के पारिवारिक जीवन में मां की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।। इस पुस्तक में एक बालक के जीवन के संघर्ष की वह कहानी है जिसमें वह जन्म के कुछ दिन बाद ही अपनी मां को खो देता है। इसके बाद उसके जीवन में आने वाली मां का व्यवहार, प्रारंभ में बहुत ही अच्छा रहता है लेकिन अचानक से उसके व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है और एक ममता की देवी मां सौतेलापन व्यवहार करने लगती है।
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Swadesh Chalo
सुजाॅय एक अमीर घर का बिगड़ा हुआ लड़का है। एक छोटी सी गलतफहमी के चलते उसकी शादी माहिरा नाम की मेड से हो जाती है। पर सुजाॅय की आदतों से परेशान माहिरा एक दिन उसे छोड़कर चली जाती है। इसके बाद सुजाॅय को अपनी गलतियों का एहसास भी होता है। माहिरा के अतीत के कुछ राज़ हैं जिनसे सुजाॅय अंजान है। क्या होगा जब उसके अतीत का सच सुजाॅय के सामने आएगा…? आखिर क्या है उसके अतीत की सच्चाई जिसे जान लेने के बाद माहिरा के प्रति सुजाॅय की तड़प और बढ़ जाती है ? क्या वक्त रहते सुजाॅय माहिरा को ढूंढ पाएगा ? और इस दौरान इन दोनों के जीवन में कितनी उथल- पुथल मचेगी ?
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