Nirankar Singh Chauhan

नाम निरंकार सिंह चौहान

Author

निरंकार सिंह चौहान!जी हां…..,वैसे ये नाम बहुत मशहूर तो नही लेकिन इतना अपरिचित भी नही है,गूगल पर सर्च करने पर इनकी एक आध तस्वीर आपको नजर जायेगी।निरंकार ने मात्र 16 वर्ष की आयु में ही अपनी लेखनी से कल्पनाओं को कागज पर उतारना शुरू कर दिया था।आज इनकी दो किताबे साहित्य के बाजार में अपने अस्तित्व को साबित करने की जद्दोजहद में संघर्षरत हैं। इनकी प्रथम पुस्तकडर कोई तो हैमार्केट में चुकी है और दूसरी आने की तैयारी में है। पेन पॉकेट बुक्स ने इनकी दोनों पुस्तकों को प्रकाशित किया है। वैसे ये राइटर साहब आयुर्वेदिक चिकित्सक भी हैं और दो चार छोटी मोटी फिल्मों में लेखन और निर्देशन का भी जिम्मा उठा चुके हैं।

संक्षेप मे अपना परिचय दीजिये ?

मेरा नाम निरंकार सिंह चौहान है और मैं एक आयुर्वेदिक चिकित्सक होने के साथ साथ एक लेखक भी हूँ।

लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली ?

मुझे बचपन से ही हिंदी और हॉलीवुड की मूवी देखने का बहुत शौक रहा है और इसके अलावा मैं बाल्य अवस्था से ही किस्से कहानियां,बाल साहित्य,कॉमिक्स,रहस्य और रोमांच से भरे उपन्यास पढ़ने का अत्यंत शौकीन रहा हूँ।यूं समझ लीजिए कि मुझे इन सबसे और अपनी अंतरात्मा से ही प्रेरणा मिली कि मेरे अंदर भी एक लेखक छुपा हुआ है।

अपनी इस किताब के बारे मे कुछ बताइये ?

इस किताब को लिखने का मुख्य उद्देश्य था कि पाठकों को कुछ नया पढ़ने को मिले..,जिसमे एक अलग तरह का डर हो,एक अलग तरह का रोमांच हो और एक ऐसे रहस्य से वो रूबरू हों जिसकी कल्पना भी उन्होंने ना कि हो।वो जब एक बार पढ़ना शुरू करें तो अंत तक पढ़ते चले जाएं।ये अन्य हॉरर कहानियों से बिल्कुल भिन्न कथा है।

एक लेखक को किताब लिखने और उसे प्रकाशित करने मे किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ?

लेखक को एक किताब लिखने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।एक नए प्लाट का सृजन,फिर उसमें अपनी कल्पना शक्ति के द्वारा कहानी को दिलचस्प बनाने हेतु भिन्न भिन्न प्रकार के पात्रों,कहानी के घटनाक्रमो में तालमेल बिठाना और दर्शकों को अंत तक बांधे रखने के लिए उसमे रहस्य रोमांच का तड़का।मेरे हिसाब से प्रकाशन में ज्यादा दिक्कत नही आती क्योंकि पेन पॉकेट बुक्स जैसे प्रकाशन लेखक की और लेखक की रचना की कद्र करके उसे प्रकशित करते हैं।  

अपने नए पाठको को आपका कोई संदेश ?

पाठक हमारे प्रेरणा स्त्रोत्र हैं क्योंकि उनकी वजह से ही हम हैं नाकि हमारी वजह से वो।उनसे बस इतना कहना है कि आप हमारी किताबें पढ़ें और हमे अपने अनमोल सुझाव दें ताकि हम भविष्य में उनके लिए और भी बेहतर कहानियां किताबों के रूप में ला सकें।

आपकी आगामी किताब के बारे मे कुछ कहना चाहेंगे ?

मेरी आगामी किताब का नाम हैअजीब।अपने नाम के अनुरूप ही ये किताब अपने आपमें ही अजीब है क्योंकि इसमें एक ऐसी कहानी को लिखा गया है जो आज तक लिखी गयी और ही पढ़ी गयी।इसमे भी भरपूर रहस्य और रोमांच का तड़का है।इस कहानी में भारत के कुछ अजीबोगरीब रहस्यों को उजागर करने का प्रयास किया गया है जिनसेआप अभी तक अनजान थे।मेरा ये दावा ही नही वादा है कि आपको मेरी आगामी किताब बहुत ही पसन्द आएगी।    

नये लेखकों को कोई सलाह कि उन्हे अपनी लेखनी और प्रकाशन पर क्या खास ध्यान देना चाहिए ?

उनके लिए बस इतनी ही सलाह है कि अपनी लेखनी को मजबूती प्रदान करने के लिए आप जो भी कथा लिखने का कार्य करें उसे रिसर्च करके और जांच परख कर लिखना शुरू करें।पाठक छोटी छोटी चीजों का बहुत ध्यान रखते हैं इसलिए कम से कम गलतियां करने का प्रयास करें।

पेन पॉकेट बुक्स प्रकाशन और दूसरे प्रकाशन मे क्या अंतर है ?

पेन पॉकेट बुक्स एक ऐसा प्लेटफार्म है जहाँ लेखकों को भरपूर सम्मान मिलता है एवम लेखक से बिना कोई शुल्क लिए वो आपकी कहानी को किताब के रूप में लाते हैं।यहाँ लेखक और उसकी रचना को प्राथमिकता दी जाती है जबकि अन्य प्रकाशन इसके विपरीत कार्य करते हैं।  

एक लेखक के तौर पर आपको किन संघर्षो का विशेष सामना करना पड़ा और उसे आपने कैसे निभाया ?

मैंने लेखन कार्य बारह वर्ष की आयु से ही स्टार्ट कर दिया था।शुरू शुरू में तो कई छोटी बड़ी रचनाओं को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया।जब कुछ आयु बढ़ी तो कई सारे प्रकाशन के ऑफिसों के चक्कर काट लिए लेकिन कोई सफलता हासिल नही हुई।जिस आफिस में जाओ तो वो सबसे पहले सिक्योरटी मांगते और अगर कोई तैयार हो जाता तो वो किताब पर मेरी जगह अपना नाम छापने की शर्त रखता।लेकिन मुझे रुपया नही कमाना था..,मुझे कमाना था नाम,एक अपनी पहचान।बस उसी प्रयास में आज भी संघर्षरत हूँ।कुछ जान पहचान के फ़िल्म निर्माताओं और निर्देशकों को अपनी कहानी लिख कर दी जो उन्हें बहुत पसंद आई और उस पर उन्होंने फिल्म भी बना डालीं लेकिन यहाँ भी धोखा मिला उन्होंने भी लेखक की जगह किसी प्रसिद्ध लेखक का नाम या अपना ही नाम डाल दिया।कई सारी फिल्में ऐसी हैं जिन्हें लिखा मैंने है लेकिन श्रेय कोई और ले गया। 

आपका बहोत बहोत शुक्रिया।आपको और आपकी किताब को ढेरो बधाई और शुभकामना

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