संक्षेप मे अपना परिचय दीजिये ?
मेरा नाम जुनैद चौधरी है. मैं उत्त्तर प्रदेश ज़िला मुरादाबाद से हूँ .
लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली ?
कुछ ऑनलाइन मंच पर कहानियां पढ़ते पढ़ते लिखने के लिए दिलचस्पी हुई. पहली कहानी को ही ढ़ेर सारे पाठकों का प्यार मिला ,तो फिर लिखते ही चले गए.
अपनी इस किताब 90′ लव के बारे मे कुछ बताइये ?
ये क़िताब बदलते ज़माने में बदलती पीढ़ियों क़े बदलते रिश्तों पर आधारित है ..सोशल मीडिया का यंग जेनरेशन ने किस तरह उपयोग /दुरुपयोग किया उसका सटीक उदाहरण है . बदलते दौर की बदलती डिजिटल प्रेम कहानियों का एक छोटा सा आइना है ये किताब
एक लेखक को किताब लिखने और उसे प्रकाशित करने मे किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ?
मुझे लगता है कहानी लिखने से ज़्यादा उसे पब्लिश कराना मुश्किल है . जब आप किताब लिखने के बाद मार्किट के तरफ देखते हैं तो सैकड़ो प्रकाशन हाउस अपने अपने ऑफर लिए आपको खड़े दिखाई देते हैँ .. लेकिन अमूमन सभी कुछ न कुछ छुपा कर लेखक को ठग लेते हैं . मैं शुक्रगुज़ार हूँ पेन पॉकेट पब्लिकेशन हाउस का जिन्होंने मेरी इस बड़ी समस्या को दूर कर मुझे फ़िक्र से आज़ाद कर दिया
अपने नये पाठको को आपका कोई संदेश ?
आप अगर सच्ची और ज़मीन से जुडी कहानियां पढ़ना पसंद करते हैं तो मेरे साथ जुड़े रहिये .. क्युकी जल्द ही पेन पॉकेट के साथ में ला रहा हूँ आपके लिए “कानपूर वाला “
आपकी आगामी किताब के बारे मे कुछ कहना चाहेंगे ?
मेरी आगामी किताब कानपूर वाला क्राइम सस्पेंस थ्रिलर किताब है ..खून खराबे से भरपूर जुर्म की दुनियां की दास्तान कहती ये किताब आपको रोमांच से भर देगी ..
नये लेखको को कोई सलाह कि उन्हे अपनी लेखनी और प्रकाशन पर क्या खास ध्यान देना चाहिए ?
मेरे हिसाब से आपकी जो लेखन शैली या विषय है , पहले उसी पर पूरी तरह ध्यान देना चाहिए .. अगर आप प्रेम लिखते हैं तो जब तक आपके शब्दकोश में लफ्ज़ खत्म न हो जाये प्रेम पर ही लिखते रहिये ..
पेन पॉकेट बुक्स प्रकाशन और दूसरे प्रकाशन मे क्या अंतर है ?
पेन पॉकेट प्रकाशन को आपसे कोई लालच नहीं जिस तरह दूसरे आपकी गाढ़ी कमायी पर नज़र रखते हैं पेन पॉकेट ऐसा नहीं करता.. पेन पॉकेट फ्री में आपकी बुक पब्लिश करता है और फिर उस बुक को और लेखक को आगे बढने में भी मदद करता है .
एक लेखक के तौर पर आपको किन संघर्षो का विशेष सामना करना पड़ा और उसे आपने कैसे निभाया ?
मेरे लिए सबसे बड़ा संघर्ष वक़्त निकलना रहा.. क्युकी मैं बेकरी शॉप संभालता हूं इसलिए मेरे पास वक़्त की भारी कमी रहती है .. में अक्सर अपनी कहानियां शॉप पर ही लिखता हूँ
आपका बहोत बहोत शुक्रिया । आपको और आपकी किताब को ढेरो बधाई और शुभकामना ।