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    CRIMINALS – Mission start now (Book 1)

    मेरा नाम निशा है , इस कहानी की शुरुवात मुझसे ही होती है। मेरा मान ना है की क्राइम के होने की अपनी कोई वजह हो ना हो , क्रिमनल्स के होने की वजह ज़रूर होती है। मुझसे किसी ने प्यार किया , फिर धोखा दिया , फिर मेर गैंगरेप हुआ और फिर वो आये जिन्हे मैं क्रिमनल्स कहती हूँ। वो क्रिमिनल्स जिन्होंने मुझे मज़बूत बनाया , जीना सिखाया। मेरी ज़िन्दगी एक तिलिस्म है जिसे मैं तोडना चाहती हूँ लेकिन चाहकर भी तोड़ नहीं सकती क्योकि मैं जिनके बीच हूँ , जिनके साथ हूँ वो ऐसे वैसे क्रिमिनल्स नहीं हैं , वो अलग हैं तेज़ हैं खतरनाक हैं। मेरे जीवन के चार रहस्य हैं – कमिटी , मेडिकल एरर , एजेंट सेवन और तीन वीडियो क्लिप। इन रहस्यों को जान ने के बाद मुझे अहसास हुआ कि मैंने ये राज़ क्यों जाना। मुझे नहीं जान ना चाहिए था। अब मैं अपने आप से ही नफरत करने लगी हूँ , जबकि मुझे अपने आप से नफरत करने की वजह भी कुछ सही नहीं लगती .

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  • Lukaash

    साहिल कम्पनी की ओर से एक मीटिंग अटेंड करने दुबई के लिए घर से निकलता है लेकिन रास्ते में हुए भयानक हादसे की वजह से पहुंच जाता है एक अनजान और सुनसान द्वीप पर । लेकिन वो वहां अकेला नहीं है , वहां रहता है एक खून का प्यासा वेम्पायर और उसकी पिशाच सेना । जो बरसों से इंतजार में हैं किसी ऐसे शख्स की जो बुझाए उसकी खून की प्यास । जिसका मकसद है दुनिया पर हुकूमत कायम करना । जो खुद में समेटे हुए है कई राज । जिसके जाल में फसां साहिल जितना उसे जानने की कोशिश करता है , उतना ही उलझता जाता है ।

    साथ ही मिलते हैं और कुछ ऐसे पात्र जो साहिल की जिंदगी में उथल-पुथल मचा देते हैं । क्या साहिल वेम्पायर के जाल से बच सका ? ऐसे कौन से राज है जिन्हें जानने के बाद साहिल खुद उलझ जाता है ? कौन है वो लोग जो साहिल से मिलते हैं ? जानने के लिए पढ़िए रहस्य , रोमांच , एक्शन के साथ-साथ नफ़रत और जज्बातों से भरी दास्तां – लुकास (खूनी दरिन्दा)

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  • SARABATIYA – BA LLB

    सरबतिया अभी भी डरी सहमी चादर लपेटे पलंग पर बैठी थी। जब जब नरेन्द्र सिंह की उस पर नज़र पड़ती तो गुस्सा और बढ़ता। ये गुस्सा इतना बढ़ा कि वो सरबतिया का नाम ले गन्दी गन्दी गालियाँ बकने लगे। डरी सहमी होने के बावजूद अपमान सहते सहते सरबतिया के सब्र का बांध तब टूट गया जब नरेन्द्र ने उसे गन्दी नाली कह दिया। बस उसके मुँह से भी निकल गया कि मुझे गन्दी नाली कह रहे हो लेकिन जिस गटर मे तुम मुँह मारना चाहते थे उससे तो ये गन्दी नाली बहुत साफ़ सुथरी है। ये सुनते ही क्रोध मे अंधे हो रहे नरेन्द्र मे एक झटके से अपना रिवाल्वर वाला हाथ मुंशी जी के डर से काँपते हाथों से छुड़ाया और सरबतिया की ओर घुमाया। ये देख भावी अनहोनी की आशंका से अच्छू, नरेन्द्र के रिवाल्वर वाले हाथ पर झपटा । लेकिन वो शरीर का संतुलन न बरकरार रख सका और दोनों एक दूसरे को लिए दिये ज़मीन पर गिर पड़े। तभी गोली चलने की आवाज़ आई, जिससे एक क्षण को सन्नाटा सा हो गया। किसी की समझ मे ही नहीं आया कि दरअसल हुआ क्या ?

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