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नृसिंह नारायण मिश्र

Author

नृसिंह नारायण मिश्र का जन्म उत्तर प्रदेश  के जिला अयोध्या के एक छोटे से गांव सुखनावा मे हुआ था , पिता का नाम राम प्रसाद मिश्र और माता का नाम कैलाश पति है   ये राम प्रसाद जी की चौथी संतान है , बचपन इनका राजस्थान के श्री गंगा नगर जिले बीता , इनकी शिक्षादीक्षा  राजस्थान मे हुई क्यों की इनके पिता वही पर दूरभाष  विभाग मे कार्यरत थे इन्होने अपनी पढाई विज्ञान विषय मे पूरी की इन्होने अपनी स्नातक तक की शिक्षा श्री गंगा नगर जिले से की , बचपन से इनके मन मे कुछ  नया करने का था किशोर अवस्था मे अपने बड़े भाई हरिप्रसाद मिश्र से इन्हे कविता लिखने की प्रेरणा मिली , शुरूआती दिनों मे शब्दों का इतना ज्यादा वजन नही आया पर बीतते समय के साथ इनकी कविताओं मे मे जान आने लगी , फिर ऐसा समय आया जब उनका रूझान उपन्यास लिखने की ओर गया उन्होंने तीन चार किताबें   लिखी , उनकी लिखी किताबें   लोगों को अच्छी लगी तब किसी ने उन्हें सलाह दी की वो अपनी इन किताबों को प्रकाशित करें।  यह एक जटिल विषय था उनके लिए, वो इस समय गुजरात के सूरत जिले मे गुणवत्ता विभाग मे कार्यरत थे उन्होने कई प्रकाशको से बात की पर उनसे कोई संतोषजनक जबाब नही मिला फिर उसी दौरान उनके पास  पेन पाॅकेट बुक्स के अफजल रज़वी जी का फोन आया , उन्होने उनकी पुस्तक मायाजाल को अपने पब्लिकेशन्स मे छांपने को कहा   उन्हें रज़वी जी  के बात करने तरीका सही लगा और उन्हे लगा की पेन पाॅकेट बुक्स वाले उनकी लिखी किताब के साथ न्याय करेंगे।  उन्होने किताब प्रकाशन के लिए  हां भर दी , नतीजतन  ”  मायाजालपेन पाॅकेट बुक्स पब्लिकेशन्स मे प्रकाशित हो गयी और फिर उसने अमेजन जैसे सेलिंग साइट पर अच्छा नाम कमाया, अब नृसिंह नारायण मिश्र का अगला शाहकारकाला जादूफिर से पेन पाॅकेट मे प्रकाशित होने जा रहा है •••

संक्षेप मे अपना परिचय दीजिये ?

मै नृसिंह नारायण मिश्र, अयोध्या का रहने वाला हूँ, इस समय मै  सूरत शहर में एक निजि कम्पनी मे कार्यरत हूँ।

लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली ?

मुझे लिखने की प्रेरणा अपने बड़े भाई  श्री हरिप्रसाद मिश्र से मिली , वो कविताऐ लिखते थे

अपनी इस किताब के बारे मे कुछ बताइये ?

यह मेरी पुस्तक हर वर्ग  के लिए है , इसमें, जादुई मायाजालतिलिस्म, और प्रेम की पराकाष्ठा भी है , इस कहानी का नायकआकाशअपनी ताकत  और सूझबूझ से जीवन मे आने तमाम समस्याओं का हल चुटकी बजाते निकाल लेता है यह किताब अपने नाम की तरह पाठक को अपने माया जाल मे बांधे रख्खेगी।

 

एक लेखक को किताब लिखने और उसे प्रकाशित करने मे किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ?

यह प्रश्न  आपने सही पूछा है , इस प्रश्न के व्दारा ही मै बता सकता हूँ की यह यात्रा जितनी सरल दिखती है उतनी सरल नही है इस यात्रा मे बहुत से पङाव आये , जब यह अहसास हुआ की क्या लेखन करना गलत है क्यों की ऐसे लोग मिले जो पुस्तक को पढ़कर कहते  की आपको यह पुस्तक यदि प्रकाशित करनी है तो हमें कुछ रुपये देने होंगे।  इसी तरह की और भी बहुत समस्याओं का सामना करना पङा , कुछ लोगो ने  ऐसा भी विरोध किया की  आप बेकार मे कागज काला कर रहे है कुछ अपनो ने भी विरोध किया , लेकिन अतंगत्वा मै लिखने मे कामयाब रहा

 

 अपने नये पाठको को आपका कोई संदेश ?

मै नये  पाठको को यह संदेश देना चाहूँगा की वो अनरवत प्रयास मे लगे रहे , ” लिखने का मतलब है की जिन्दगी की ओर लौटना

आपकी आगामी किताब के बारे मे कुछ कहना चाहेंगे ?

  मै शीघ्र ही अपनी नयी किताब लेकर रहा हूँजिसका नाम  ” काला जादूहै यह किताब मेरी पहली किताब  ”  मायाजालसे बेहतर है और यह किताब आकाश सीरीजकी अगली   हाहाकारी पेशकश है , यह पुस्तक मेरीपेन पाॅकेट बुक्स पब्लिकेशन्सके माध्यम से आयेगी

 

 नये लेखको को कोई सलाह कि उन्हे अपनी लेखनी और प्रकाशन पर क्या खास ध्यान देना चाहिए ?

मै नये  लेखको यह सलाह देना चाहूंगा की वो जो भी लिखे और जिस  विषय पर लिखे , भाव की अभिव्यक्ति को सर्वोच्च  रख्खे भाव की अभिव्यक्ति ही पाठक को पुस्तक से बांधे रखती है  , प्रकाशन के लिए उन्हे  ” पेन पाॅकेट बुक्स जैसी  पब्लिकेशन्स पर ही जाना चाहिए जहाँ पर अभी भी  मानवीय मूल्य बाकी है 

पेन पॉकेट बुक्स प्रकाशन    और दूसरे प्रकाशन मे क्या अंतर है ?

पेन पाॅकेट बुक्स प्रकाशनअपने लेखको को अपने परिवार की तरह मानती है उनके लेखन को  महत्वता देती है और बङी बात यह है की यह पब्लिकेशन लेखको को प्रोत्साहित भी करती है

एक लेखक के तौर पर आपको किन संघर्षो का विशेष सामना करना पड़ा और उसे आपने कैसे निभाया ?

आज के समय मे जीवन के व्यस्तम हिस्से से समय निकाल कर लिखना , बहुत दुष्कर कार्य है , जीवन मे बहुत सी और भी जिम्मेदारीयां उनका निर्वाह करने के साथ आपको लिखना होता है , यह  बहुत दुष्कर कार्य बन जाता है , मेरे साथ भी ऐसी बहुत सी समस्यायें थी , मैने उनका सामना किया और फिर उन्ही के मध्य बैठकर लेखन भी किया सबको एक साथ लेकर चला ,इन सबके बावजूद भी मैने अपने इस पेंशन को जिन्दा रख्खा

 

आपका बहोत बहोत शुक्रिया आपको और आपकी किताब को ढेरो बधाई और शुभकामना

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