अपनी इस किताब के बारे मे कुछ बताइये ?
यह मेरी पुस्तक हर वर्ग के लिए है , इसमें, जादुई मायाजाल, तिलिस्म, और प्रेम की पराकाष्ठा भी है , इस कहानी का नायक ” आकाश ” अपनी ताकत और सूझ–बूझ से जीवन मे आने तमाम समस्याओं का हल चुटकी बजाते निकाल लेता है । यह किताब अपने नाम की तरह पाठक को अपने माया जाल मे बांधे रख्खेगी।
एक लेखक को किताब लिखने और उसे प्रकाशित करने मे किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ?
यह प्रश्न आपने सही पूछा है , इस प्रश्न के व्दारा ही मै बता सकता हूँ की यह यात्रा जितनी सरल दिखती है उतनी सरल नही है । इस यात्रा मे बहुत से पङाव आये , जब यह अहसास हुआ की क्या लेखन करना गलत है । क्यों की ऐसे लोग मिले जो पुस्तक को पढ़कर कहते की आपको यह पुस्तक यदि प्रकाशित करनी है तो हमें कुछ रुपये देने होंगे। इसी तरह की और भी बहुत समस्याओं का सामना करना पङा , कुछ लोगो ने ऐसा भी विरोध किया की आप बेकार मे कागज काला कर रहे है । कुछ अपनो ने भी विरोध किया , लेकिन अतंगत्वा मै लिखने मे कामयाब रहा ।
अपने नये पाठको को आपका कोई संदेश ?
मै नये पाठको को यह संदेश देना चाहूँगा की वो अनरवत प्रयास मे लगे रहे , ” लिखने का मतलब है की जिन्दगी की ओर लौटना ”
आपकी आगामी किताब के बारे मे कुछ कहना चाहेंगे ?
मै शीघ्र ही अपनी नयी किताब लेकर आ रहा हूँ ” जिसका नाम ” काला जादू ” है । यह किताब मेरी पहली किताब ” मायाजाल ” से बेहतर है और यह किताब “आकाश सीरीज ” की अगली हाहाकारी पेशकश है , यह पुस्तक मेरी ” पेन पाॅकेट बुक्स पब्लिकेशन्स ” के माध्यम से आयेगी ।
नये लेखको को कोई सलाह कि उन्हे अपनी लेखनी और प्रकाशन पर क्या खास ध्यान देना चाहिए ?
मै नये लेखको यह सलाह देना चाहूंगा की वो जो भी लिखे और जिस विषय पर लिखे , भाव की अभिव्यक्ति को सर्वोच्च रख्खे । भाव की अभिव्यक्ति ही पाठक को पुस्तक से बांधे रखती है , प्रकाशन के लिए उन्हे ” पेन पाॅकेट बुक्स जैसी पब्लिकेशन्स पर ही जाना चाहिए जहाँ पर अभी भी मानवीय मूल्य बाकी है ।
पेन पॉकेट बुक्स प्रकाशन और दूसरे प्रकाशन मे क्या अंतर है ?
” पेन पाॅकेट बुक्स प्रकाशन ” अपने लेखको को अपने परिवार की तरह मानती है । उनके लेखन को महत्वता देती है और बङी बात यह है की यह पब्लिकेशन लेखको को प्रोत्साहित भी करती है ।
एक लेखक के तौर पर आपको किन संघर्षो का विशेष सामना करना पड़ा और उसे आपने कैसे निभाया ?
आज के समय मे जीवन के व्यस्तम हिस्से से समय निकाल कर लिखना , बहुत दुष्कर कार्य है , जीवन मे बहुत सी और भी जिम्मेदारीयां उनका निर्वाह करने के साथ आपको लिखना होता है , यह बहुत दुष्कर कार्य बन जाता है , मेरे साथ भी ऐसी बहुत सी समस्यायें थी , मैने उनका सामना किया और फिर उन्ही के मध्य बैठकर लेखन भी किया । सबको एक साथ लेकर चला ,इन सबके बावजूद भी मैने अपने इस पेंशन को जिन्दा रख्खा ।
आपका बहोत बहोत शुक्रिया । आपको और आपकी किताब को ढेरो बधाई और शुभकामना ।