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Mohabbat khwab aur Tum
हेलो अवनि कैसी हो खबर तो मिल गई होगी तुम्हें बहुत शौक था न तुम्हें अनाथ बच्चों की सेवा करने का अब इसकी किमत तुम्हें अनाथ बनकर चुकानी पड़ेगी .. हा हा हा ..! फिर फ़ोन कट गया था और मैं बस हेलो हेलो कर रही थी और विराज जो ड्राइविंग कर रहा था और मुझे देख रहा था वह भी घबराया हुआ था मेरी हालत देखकर और बार बार पूछ रहा था .. “क्या हुआ अवनि किसका फोन था क्या कह रहा था”! और मैं …! मैं — बस जल्दी गाड़ी तेज चलाओ मुझे घर पहुंचना है । मैं कह रही थी और मेरी आंखों से लगातार आंसू बहे जा रह थे ..दिमाग काम नहीं कर रहा था कि वह फोन किसका था और तभी मुझे एहसास हुआ था कि ये आवाज़ कुछ जानी पहचानी थी और फिर मेरे होश उड़ गए थे ये आवाज़ आश्रम के फादर की थी जो कि उस निधि वाले और विराज और मेरे एक्सीडेंट के बाद से फरार थे और उन्होंने अपना बदला मुझसे ऐसे लिया था ..! मेरे तो होश ही उड़ गए थे । मैं बहुत घबरायी हुईं थी और दुबारा उसी नंबर को डायल कर रही थी मगर वह नंबर आऊट आफ नेटवर्क बता रहा था और इसी कशमकश और डर घबराहट में जब हमारी गाड़ी मेरे घर के पास पहुंचने वाली थी तो वहां पर लोगों की बहुत बड़ी भीड़ उमड़ी हुई थी और आसमान में धुआं उठ रहा और सब कुछ काला काला नज़र आ रहा था और हवा में गर्माहट महसूस हो रही थी जैसे आग …. विराज ने गाड़ी वहीं पर रोकी थी और मैं जल्दी से भीड़ को चीरते हुए अन्दर बढ़ी थी ।सब कुछ खतम हो गया नेहा सब कुछ मैं अनाथ आश्रम में काम करते करते खुद अनाथ हो गई हूं फादर ने मेरा बदला मेरे माता-पिता से ले लिया था मैं अनाथ हो … “”! कहते कहते कब मेरी आंखे बंद हो गई थी फिर से मुझे कुछ होश नहीं था ।