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Shree – Suno Na
शिव तक मेरी दीवानगी पहुंच चुकी थी.. जाहिर भी था.. मैं भी अपनी भावनाएं शायरी की या ग़ज़ल के रूप में उन तक पहुंचाने लगी थी.. पर बिना प्रतिउत्तर की चाह लिए… वो जो मुझे दे रहे थे वो सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए था.. अपनी व्यस्त सी जिंदगी से बचाकर कुछ वक़्त..और इस तरह एक खूबसूरत रिश्ते की शुरूवात हमारे बीच हो गई.. कोई शर्त नहीं कोई चाहत नहीं.. ना पाने की लालसा न खोने का डर… बरसों इस रिश्ते को जी लेंगे इसी तरह.. मुझे लगता है रिश्ते निभाना बहुत आसान और सरल होता है… बस आपसी सामंजस्य सही हो… प्यार तो आबाद ही करता है… ना जाने लोग इसे बर्बादी क्यों कहते हैं..